
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा की कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की। इस बातचीत में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन की अलास्का में हुई मीटिंग पर भी चर्चा हुई।
अलास्का मीटिंग का क्या था मामला?
हाल ही में अमेरिकी राज्य अलास्का के एंकोरेज (Anchorage) में डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच लगभग 3 घंटे लंबी बातचीत हुई थी। हालांकि इस मीटिंग के बाद कोई ठोस समझौता सामने नहीं आया, पर दोनों नेताओं ने कहा कि “कुछ प्रगति” हुई है।
मोदी-पुतिन फोन कॉल में क्या बात हुई?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा:
“अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन को कॉल करने और अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई हालिया मुलाक़ात पर विचार साझा करने के लिए धन्यवाद। भारत हमेशा से यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है और इस दिशा में हर कोशिश का समर्थन करता है।”
भारत की भूमिका – शांति का सिपाही
भारत ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की बात दोहराई है। मोदी सरकार की नीति साफ है – डिप्लोमैसी और डायलॉग से रास्ता निकले।
भारत दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि वह सिर्फ एक आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और कूटनीतिक रूप से भी लीडरशिप कर सकता है।

आगे क्या होगा?
मोदी ने इशारा किया कि आने वाले दिनों में पुतिन से उनकी बातचीत जारी रहेगी। यह संकेत देता है कि भारत बैकडोर डिप्लोमेसी के ज़रिए यूक्रेन संकट में कोई मध्यस्थ भूमिका निभाने की कोशिश कर सकता है।
अलास्का में ट्रंप-पुतिन मीटिंग के बाद मोदी की सक्रियता यह दिखाती है कि भारत अब वर्ल्ड जियोपॉलिटिक्स में सिर्फ़ ऑब्ज़र्वर नहीं, एक एक्टिव प्लेयर बनना चाहता है।
यूक्रेन युद्ध का हल भले ही अभी दूर हो, लेकिन भारत की शांति की पहल वर्ल्ड लीडर्स के लिए एक उम्मीद की किरण है।
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